मुंबई.महाराष्ट्र के सांगली से तकरीबन 30 km दूर बसे मेहसाणा के लोगों में डॉक्टर्स को लेकर जबर्दस्त गुस्सा है। कुछ दिनों पहले तक उन्हें पता नहीं था कि उनके गांव में डॉक्टर्स 9 साल से ऐसा काम कर रहे हैं, जिससे इंसानियत शर्मसार हो जाए। यहां का डॉ. बाबासाहब खिद्रापुरे अपने भारती हॉस्पिटल में रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक गैरकानूनी तरीके से अबॉर्शन (गर्भपात) करता था और मोटी रकम कमाता था। पुलिस ने इस मामले में अब तक 9 लोगों को अरेस्ट किया है। कई चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने आए...
- यह मामला तक सामने आया, जब हाल ही में यहां पर अबॉर्शन कराने आई एक महिला की मौत हो गई। जांच हुई तो हॉस्पिटल के पास ही 19 भ्रूण जमीन में गड़े हुए पाए गए।
- DainikBhaskar ने जब इस मामले को खंगाला तो कई चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने आए। डॉ. खिद्रापुरे पिछले 9 साल से यह गैरकानूनी काम कर रहा था। इस काम में दूसरे कई डॉक्टर और उसके करीबी साथ देते थे।
- कर्नाटक के कागवाड का डॉ. श्रीहरी घोडके और बिजापुर का डॉ. रमेश देवगीकर भी इसमें शामिल हैं। डॉ. घोडके के पास दो सोनोग्राफी मशीन थी।
- इसमें से एक तो वो हमेशा गाड़ी में रखता था ताकि जहां जरूरत हो वहां जाकर भ्रूण का जेंडर टेस्ट किया जा सके। जांच में सामने आया है कि घोडके बोगस डॉक्टर था।
- हद तो यह है कि जब महिलाएं उसके पास भ्रूण का जेंडर टेस्ट करवाने आती थीं तो वो खुद उन्हें अबॉर्शन के लिए उकसाता था। इसके बदले वो इनसे 20 से 25 हजार रुपए लेता था।
- डॉ. देवगीकर रेडियोलॉजिस्ट है। गैरकानूनी तरीके से जेंडर टेस्ट कर वो भी महिलाओं को डॉ. खिद्रापुरे के पास भेजता था। डॉ. खिद्रापुरे की पत्नी मनीषा भी आयुर्वेदिक डॉक्टर है। उसकी भी जांच हुई, लेकिन अबॉर्शन के मामले में उसका कोई हाथ न होने से जांच के बाद उसे छोड़ दिया गया है। डॉ. खिद्रापुरे ने सोनोग्राफी मशीन रखने के लिए भी लाइसेंस नहीं लिया था। इसलिए आरोग्य डिपार्टमेंट की ओर से उसे इसके लिए भी नोटिस दिया गया है।
नहीं था नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन
- होम्योपैथिक काउंसिल की टीम मेहसाणा जाकर लौटी है और डॉ. खिद्रापुरे का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। डॉ. खिद्रापुरे ने नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन के लिए 2012 में डिस्ट्रिक्ट काउंसिल में अर्जी दी थी। तब के हेल्थ ऑफिशियल ने बीएचएमएस की डिग्री होने से उसकी अर्जी खारिज कर दी थी। उसके बाद भी डॉ. खिद्रापुरे गैरकानूनी तरीके से अबॉर्शन कर रहा था।
एजेंट को मिलता था 5 से 10 हजार रुपए कमीशन
- बार-बार शिकायत होने पर भी इस पर हेल्थ डिपार्टमेंट ने कार्रवाई क्यों नहीं की, यह बड़ा सवाल बना हुआ है। डॉ. खिद्रापुरे यह सब एक नेटवर्क बनाकर करता था। डॉ. घोडके और डॉ. देवगीकर भ्रूण का जेंडर टेस्ट कर उसके पास मरीज भेजते थे। ये मरीज सीधे खिद्रापुरे के पास नहीं जाते थे बल्कि एक एजेंट इन्हें लेकर उसके पास जाता था।
- इस काम के लिए एजेंट को भी 5 से 10 हजार रुपए कमीशन दिया जाता था। एडीशनल हेल्थ डायरेक्टर अर्चना पाटील कहती हैं कि इस मामले को देखते हुए राज्य में अन्य जगहों पर सोनोग्राफी सेंटर और नर्सिंग होम की भी जांच की जा रही है। जो लोग दोषी पाए जा रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जाएगी।
- ऐसे क्राइम फिर से न हो इसलिए एडमिनिस्ट्रेशन सतर्क है। महाराष्ट्र के पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर और सांगली विधायक डॉ. जयंत पाटील ने कहा कि यहां के लोगों के मन में डॉक्टरों के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है।
रैकेट में कर्नाटक के डॉक्टर बड़े पैमाने पर शामिल
- इस रैकेट में कर्नाटक के डॉक्टर बड़े पैमाने पर शामिल हैं। इस मामले की पूरी जानकारी सामने आना जरूरी है। डॉ. खिद्रापुरे को बहुत लोगों ने मदद की है। जल्द से जल्द कार्रवाई करना जरूरी है।
- पुलिस इस मामले में अभी जांच कर रही है। यह भी पता चला है कि डॉ. खिद्रापुरे अपने दूध वाले को भ्रूण देता था और वो उसे जमीन में गाड़ने का काम करता था।
- डॉ. खिद्रापुरे ने अबॉर्शन कराने आई एक भी महिला का नाम रजिस्टर में नहीं लिखा है। यही नहीं, उसके पास किसी का ओपीडी केस पेपर भी नहीं है। वो मुंबई के कालबा देवी इलाके से दवाइयां लाता था।
- सांगली का भारत गटागट नाम का शख्स डॉ. खिद्रापुरे को दवाइयां देता था। बहुत-सी दवाई कृष्णा नदी मे फेंकने की बात सामने आई है। पुलिस ने अब तक 9 लोगों- डॉ. श्रीहरी घोडके, डॉ. रमेश देवगीकर, सुनील खेडकर, उमेश सालुंखे, कांचन रोजे, यासीन तहसीलदार, सातगोंडा पाटील, संदीप जाधव, एजेंट वीरेनगोंडा गुमटे को अरेस्ट किया है।
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