UP में भारी जीत मिलने के बाद तेजी से इकोनॉमिक रिफॉर्म्स करेंगे मोदी: एक्सपर्ट्स

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नई दिल्ली. यूपी चुनाव में बीजेपी को भारी जीत मिली है। माना जा रहा है कि अब नरेंद्र मोदी अपने इकोनॉमिक रिफॉर्म्स के मुद्दे पर तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। मोदी की इस जीत को एक तरह से नोटबंदी का तोहफा भी बताया जा रहा है। इस साल मोदी के सामने जीएसटी, बैड लोन और लेबर रिफॉर्म्स लागू करने की चुनौती है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक एक्सपर्ट्स मानते हैं, "दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी में अभी जॉब्स और ग्रोथ अहम मुद्दे हैं।" ये हैं सरकार की प्रायोरिटी...
1# GST
- फाइनेंस मिनिस्ट्री के प्लान के मुताबिक, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को जुलाई तक लागू करना है।
- इसमें टैक्स के 4 स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) रहेंगे। साथ ही कारों, सॉफ्ट ड्रिंक्स और तंबाकू प्रोडक्ट्स जैसे लग्जरी आइटम्स पर लेवी लगाने का भी प्रोविजन है। इससे राज्यों को पहले 5 सालों में रेवेन्यू लॉस की पूर्ति की जा सकेगी।
क्या है स्थिति?
- केंद्र और राज्य सरकारों ने गुरुवार को जीएसटी विधेयक के अंतिम रूप को अपनी स्वीकृति दे दी।
- सरकार को उम्मीद है कि वह संसद के मौजूदा सेशन और अगले महीने विधानसभाओं में पास करा लेगी।
- इस लिहाज से इसी फाइनेंशियल ईयर के दूसरे क्वार्टर में जीएसटी लागू हो सकता है।
क्या होगा?
- ये नया टैक्स स्ट्रक्चर रेवेन्यू न्यूट्रल होगा यानी इसमें रेट्स मौजूदा लेवी के आधार पर ही होंगी।
- उम्मीद जताई जा रही है कि इससे इकोनॉमिक ग्रोथ 0.5% का इजाफा हो सकता है। इससे रेवेन्यू बेस बढ़ेगा और फर्मों पर बोझ घटेगा।

2# बैड बैंक
- फाइनेंस मिनिस्ट्री और आरबीआई पब्लिक सेक्टर एसेट रिहैबिलिटेशन एजेंसी (पारा) या बैड बैंक बनाने की तैयारी कर रहा है। इससे बैंकिंग सिस्टम को नॉन परफॉर्मिंग एसेट से निपटने में मदद मिलेगी।
क्या है स्थिति?
- फाइनेंस मिनिस्ट्री और आरबीआई ने अफसरों को इस पर तुरंत एक्शन लेने के लिए कहा है।
- हालांकि एक सीनियर अफसर का कहना है कि अरुण जेटली बैड बैंक के आइडिया को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। फाइनेंस मिनिस्ट्री का बैंकिंग डिवीजन भी इसका विरोध कर रहा है।
क्या होगा?
- जेटली संसद में कह चुके हैं कि सरकार कई ऑप्शन के बारे में विचार कर रही है। जबकि अफसरों का कहना है कि बैड लोन्स से निपटने के लिए मौजूदा मैकेनिज्म पर ही फोकस रहेगा। इसे लेकर अभी तक सरकार की अप्रोच फेल रही है।
3# लेबर रिफॉर्म्स
- मोदी सरकार लंबे वक्त से पेंडिंग पड़े सैलरी को लेकर लेबर विधेयक को फिर से लाना चाहती है।
- लेबर मिनिस्टर बंडारू दत्तात्रेय 44 इंडस्ट्रियल लॉज को इम्प्लॉइमेंट रूल्स में बदलने का प्रस्ताव भेज चुके हैं। उनका कहना है कि इससे वर्कर्स को सोशल सिक्युरिटी मिलेगी।

क्या है स्थिति?
- लेबर मिनिस्ट्री के अफसरों का कहना है कि एकराय बनाने की कोशिशें जारी हैं। सरकार मेटरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर चुकी है।
- वहीं, भारत की कई ट्रेड यूनियंस रिफॉर्म्स का विरोध कर रही हैं। इन यूनियंस में कई सरकार के सहयोगी दल भी हैं।
- माना जा रहा है कि सरकार जुलाई में होने वाले पार्लियामेंट सेशन में लेबर रिफॉर्म्स को ला सकती है।
क्या होगा?
- अफसरों का कहना है कि अगर एकराय नहीं बन पाई तो सरकार यूपी समेत बीजेपी शासित राज्यों से लेबर रिफॉर्म्स लागू करने के लिए कहेगी।
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Authored By Unknown

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