क्या है EVM कॉन्ट्रोवर्सी? कभी आडवाणी ने भी कही थी इस पर रोक लगाने की बात

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नई दिल्ली. 2017 असेंबली इलेक्शंस में ईवीएम के इस्तेमाल पर मायावती, हरीश रावत और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने सवाल उठाए हैं। पांच चुनावी राज्यों में से यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी को भारी बहुमत मिला है। ईवीएम विवाद के बाद इलेक्शन कमीशन ने मंगलवार को कहा कि मशीन को दो बार चेक किया जाता है। उसे कैंडिडेट के सामने जांचा और सील किया जाता है। काउंटिंग से पहले भी ईवीएम को कैंडिडेट्स के सामने खोला जाता है। DainikBhaskar.com आपको बता रहा है कि EVM कॉन्ट्रोवर्सी पर नेताओं ने क्यों सवाल उठाए हैं और देश में कब से इसका इस्तेमाल हो रहा है...
1# मायावती-हरीश रावत ने उठाए सवाल, केजरी बोले- बैलेट से हो MCD इलेक्शन
- मायावती ने यूपी इलेक्शन में हार के बाद कहा कि चुनाव जनता ने नहीं ईवीएम ने हराया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 325 सीट जीतकर भी बनावटी मुस्कराहट से साफ होता है कि चुनाव धांधली कराकर जीता है।
- उत्तराखंड में हार के बाद हरीश रावत ने कहा कि मोदी क्रांति और ईवीएम के चमत्कार को सलाम करता हूं।
- वहीं, केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में AAP का 20 से 25% वोट ईवीएम के जरिए अकालियों को ट्रांसफर हो गया। मेरा मानना है कि हम जीत रहे थे और ईवीएम में गड़बडी के असली कारण क्या थे इसका मुझे पता नहीं है। अगर ईवीएम में गड़बड़ी की जाती है तो चुनावों का क्या मतलब। हमें पंजाब में सत्ता से बाहर रखने के लिए सारा खेल किया गया।


2# डेमोक्रेसी एट रिस्क बुक में सवाल उठा- क्या ईवीएम पर भरोसा कर सकते हैं?
- 2010 में बीजेपी लीडर जीवीएल नरसिम्हा राव की बुक "डेमोक्रेसी एट रिस्क-कैन वी ट्रस्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?' आई। इस बुक की प्रस्तावना आडवाणी ने लिखी।
- आडवाणी ने लिखा था, "टेक्नोलॉजी के नजरिए से मैं जर्मनी को मोस्ट एडवांस्ड देश समझता हूं। वे भी ईवीएम के इस्तेमाल पर बैन लगा चुका है। आज अमेरिका के 50 में से 32 स्टेट्स में ईवीएम बैन है। मुझे लगता है कि अगर हमारा इलेक्शन कमीशन भी ऐसा करता है, तो इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।"
3# पहली बार कब ईवीएम के इस्तेमाल पर उठा सवाल?
- 1982 में केरल असेंबली इलेक्शन में EC ने पैरावूर विधानसभा के 84 में से 50 पोलिंग स्टेशन पर ईवीएम का ट्रायल रन किया। 
- इलेक्शन से पहले सीपीएम के सिवान पिल्लई ने हाईकोर्ट में ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ पिटीशन दायर की थी।
- EC ने हाईकोर्ट के सामने ईवीएम का डिमॉन्स्ट्रेशन किया, जिसके बाद कोर्ट ने मामले में दखल से इनकार कर दिया।
- इलेक्शन में पिल्लई ने कांग्रेस के एसी जोस को 123 वोट से हरा दिया। फिर जोस ने हाईकोर्ट में अपील कर दी। हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जिसके बाद बैलेट पेपर से ही चुनाव करवाए गए। इनमें जोस को जीत मिली।
4# पूरे देश में आम चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल कब से हो रहा है?
- पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन (RP) एक्ट 1951 में अमेंडमेंट के बाद नवंबर 1998 में EC ने एक्सपेरिमेंट के तौर पर देश की 16 विधानसभा सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया। इनमें 5 मध्य प्रदेश, 5 राजस्थान और 6 दिल्ली की सीटें थीं। इसके बाद 2004 से पूरे देश में चुनाव के दौरान ईवीएम का इस्तेमाल किया जाने लगा।
5# इस्तेमाल शुरू होने के बाद कब-कब उठे ईवीएम पर सवाल?
- 2004 में इस्तेमाल शुरू होते ही ईवीएम पर सवाल उठने लगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2009 में खुद बीजेपी ने ही ईवीएम को लेकर धांधली का आरोप लगाया। 2009 में ही हुए विधानसभा चुनावों में ईवीएम पर सवाल उठा। तमिलनाडु में AIADMK ने ईवीएम की जगह बैलेट से चुनाव की मांग की। 2014 में भी विपक्षी दलों ने ईवीएम के जरिए धांधली होने का मसला उठाया।
6# रिएलिटी टेस्ट कब हुआ?
- अगस्त 2009 में इलेक्शन कमीशन ने उन लोगों के सामने ईवीएम को डिमॉन्स्ट्रेट किया, जो उस पर सवाल उठाते थे।
- 10 राज्यों में इस्तेमाल की गई 100 ईवीएम को डिमॉन्स्ट्रेशन के लिए रखा गया। सवाल उठाने वाला कोई भी व्यक्ति उसमें गड़बड़ी नहीं निकाल पाया। कुछ ने तो इस डिमॉन्स्ट्रेशन से ही इनकार कर दिया।
- इसके बाद EC ने कहा, "ईवीएम को रिप्रोग्राम्ड नहीं किया जा सकता और ना उसे किसी बाहरी डिवाइस से कंट्रोल किया जा सकता है। ये वोटर को केवल एक बार वोट डालने के लिए डिजाइन की गई है।"
7# कैसे काम करती है EVM?
- EC की वेबसाइट पर ईवीएम के बारे में सवालों के जवाब दिए गए हैं। ईवीएम में दो यूनिट होती हैं। पहली कंट्रोल यूनिट, दूसरी बैलेट यूनिट। दोनों को 5 मीटर केबल से जोड़ा जाता है। कंट्रोल यूनिट पोलिंग ऑफिसर के पास होती है और बैलेट यूनिट कंपार्टमेंट में रखी होती है। पोलिंग अफसर के बैलेट बटन दबाने के बाद वोटर अपना वोट डालता है। इसके लिए कैंडिडेट के सिंबल के सामने लगा नीला बटन दबाना होता है।
- ईवीएम की वोट कैपेसिटी 3840 है, जबकि एक पोलिंग स्टेशन पर वोटर्स की संख्या 1500 के आसपास होती है। अगर किसी इलाके में पावर कनेक्शन नहीं है, तो वहां भी ईवीएम काम कर सकती है, क्योंकि ये 6 वोल्ट की सिम्पल बैटरी से चल सकती है।
8# किन हालात में नहीं हो सकता है ईवीएम का इस्तेमाल
- ईवीएम में एक बार में 64 कैडिंडेट्स के लिए वोट दिए जा सकते हैं। एक बैलेटिंग यूनिट की कैपेसिटी 16 कैंडिडेट्स की होती है। ऐसे में दूसरे बैलेटिंग यूनिट्स को जोड़ा जाता है। लेकिन, कैंडिडेट्स 64 से ज्यादा होते हैं, तो बैलेट पेपर का इस्तेमाल करना पड़ता है।
9# ईवीएम इस्तेमाल के फायदे क्या?
- ईवीएम में 1 मिनट में 5 वोट ही डाले जा सकते हैं, यानी 30 मिनट में केवल 150। पोलिंग ऑफिसर के पास वोटिंग बंद करने का भी ऑप्शन होता है। ऐसे में बूथ कैप्चरिंग जैसे हालात में ईवीएम बैलेट पेपर से ज्यादा सेफ है।
- मशीन में इस्तेमाल की गई माइक्रोचिप में वोटिंग का डाटा 10 साल से ज्यादा वक्त तक सेफ रहता है। ईवीएम के इस्तेमाल से करोड़ों बैलेट पेपर की प्रिंटिंग, ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रिब्यूशन में काफी कमी आ जाती है। इसके अलावा काउंटिंग के बाद रिजल्ट कुछ ही घंटों में दिए जा सकते हैं।
10# आगे क्या होगा?
- इलेक्शन कमीशन ने 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त से EVM में बटन दबाने के बाद वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की शुरुआत की थी। अभी 100% पोलिंग बूथ पर इसका इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है। लेकिन VVPAT से फायदा यह है कि जब भी वोटर बटन दबाता है तो ईवीएम के पास रखी मशीन से एक स्लिप निकलती है। उस पर लिखा होता है कि आपका वोट रजिस्टर हो चुका है। इस तरह वोटर आश्वस्त हो जाता है कि उसका वोट दर्ज हो गया है।
- केजरीवाल ने भी VVPAT पर भरोसा जताया है। उन्होंने मांग की है कि पंजाब में जिन 32 जगहों पर VVPAT का इस्तेमाल हुआ है, वहां के वोटों के ट्रेन्ड की बाकी जगहों के वोटों की तुलना करके देखा जाए।
- चुनाव आयोग इस कोशिश में है कि हर चुनाव में हर ईवीएम से ऑडिट ट्रेल स्लिप निकलने की व्यवस्था हो।

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Authored By Unknown

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