लखनऊ.योगी आदित्यनाथ रविवार को सीएम पद की शपथ लेंगे। उनके साथ डिप्टी सीएम केशव मौर्य और दिनेश शर्मा समेत कैबिनेट के सहयोगी दोपहर 2.15 बजे कांशीराम स्मृति उपवन में शपथ लेंगे। समारोह में पीएम मोदी, अमित शाह समेत कई नेता मौजूद रहेंगे। यहां बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के सभी सीएम को भी बुलाया गया है। चंद्रबाबू नायडू, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर के सीएम भी आएंगे। बता दें, 7 दिनों के सस्पेंस के बाद शनिवार को यूपी के सीएम फेस का एलान हुआ था। सीएम की रेस में योगी अचानक निकले थे आगे...
- बीजेपी के फायरब्रांड लीडर और हिंदू हार्डलाइनर इमेज वाले योगी आदित्यनाथ (44) को लखनऊ में विधायक दल ने अपना नेता चुना था। इस मीटिंग से दो घंटे पहले ही आदित्यनाथ सीएम पद की दौड़ में आगे निकले थे।
- बता दें, वे यूपी के पहले और उमा भारती के बाद देश में दूसरे भगवाधारी सीएम होंगे। ऐसा भी पहली बार ही होगा, जब यूपी में दो-दो डिप्टी सीएम होंगे। इसके लिए केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा को चुना गया है।
ऐसे तय हुए दो डिप्टी सीएम
- बीजेपी विधायक दल की मीटिंग खत्म होने के बाद पार्टी के सेंट्रल ऑब्जर्वर वेंकैया नायडू ने कहा, "विधायक दल की मीटिंग में सुरेश खन्ना ने आदित्यनाथ के नाम का प्रस्ताव रखा। दूसरों से भी पूछा गया कि क्या कोई किसी और के नाम का प्रस्ताव रखना चाहता है। लेकिन, योगी जी का नाम सामने आते ही सभी ने खड़े होकर प्रस्ताव का समर्थन किया"
- "योगी जी ने कहा कि यूपी बड़ा प्रदेश है, इसलिए मुझे दो सहयोगियों की जरूरत होगी। अमित शाह जी से बात करने के बाद पार्टी ने तय किया कि योगी जी को सहयोग देने के लिए केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा।"
- "योगी जी ने कहा कि यूपी बड़ा प्रदेश है, इसलिए मुझे दो सहयोगियों की जरूरत होगी। अमित शाह जी से बात करने के बाद पार्टी ने तय किया कि योगी जी को सहयोग देने के लिए केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा।"
- बता दें कि चुनाव नतीजे आने के बाद राजनाथ सिंह से लेकर मनोज सिन्हा, केशव प्रसाद माैर्या और सिद्धार्थनाथ सिंह सीएम पद की दौड़ में थे। लेकिन सात दिन में सभी दौड़ से बाहर हो गए।
जीत के जश्न के नाम पर डिस्टर्बेंस बर्दाश्त नहीं होगा- योगी
- राज्यपाल से मुलाकात के बाद योगी ने सभी जिलों के SSP से कहा कि जीत के जश्न के नाम पर डिस्टर्बेंस और उत्पात किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
- राज्यपाल से मुलाकात के बाद योगी ने सभी जिलों के SSP से कहा कि जीत के जश्न के नाम पर डिस्टर्बेंस और उत्पात किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
योगी आदित्यनाथ CM क्यों?
- पॉलिटिकल एक्सपर्ट श्रीधर अग्निहोत्री ने DainikBhaskar.com से बातचीत में वो 10 कारण बताए, जिसकी वजह से योगी यूपी के सीएम बनाए गए।
1) कट्टर हिंदूवादी चेहरा हैं। बीजेपी के फायर ब्रांड नेता हैं।
2) मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए नेता हैं। राम मंदिर का मुद्दा उठाते रहे हैं।
3) 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जैसा पोलराइजेशन इस विधानसभा चुनाव में हुआ है, 2019 में भी हो सकता है।
4) इस चुनाव में वेस्ट यूपी से लेकर पूर्वांचल तक योगी आदित्यनाथ ने जमकर प्रचार किया। माना जा रहा है कि इससे बीजेपी को भारी जीत में काफी फायदा हुआ।
5)बीजेपी को जो बहुमत मिला है, उसमें हिंदुत्व का एजेंडा ही कारगर रहा है।
6)आदित्यनाथ पर करप्शन का कोई आरोप नहीं है।
7) योगी की कोई लामबंदी नहीं है। उनके साथ गुटबंदी जैसी कोई चीज नहीं है।
8) पूर्वांचल में अच्छी पकड़ रखते हैं जहां मोदी-राजनाथ-अमित शाह की सबसे ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।
9) गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे हैं। विधायिका का अनुभव है।
10)आरएसएस के करीबी माने जाते हैं। इसलिए उनके नाम पर आसानी से मुहर लगी।
- पॉलिटिकल एक्सपर्ट श्रीधर अग्निहोत्री ने DainikBhaskar.com से बातचीत में वो 10 कारण बताए, जिसकी वजह से योगी यूपी के सीएम बनाए गए।
1) कट्टर हिंदूवादी चेहरा हैं। बीजेपी के फायर ब्रांड नेता हैं।
2) मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए नेता हैं। राम मंदिर का मुद्दा उठाते रहे हैं।
3) 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जैसा पोलराइजेशन इस विधानसभा चुनाव में हुआ है, 2019 में भी हो सकता है।
4) इस चुनाव में वेस्ट यूपी से लेकर पूर्वांचल तक योगी आदित्यनाथ ने जमकर प्रचार किया। माना जा रहा है कि इससे बीजेपी को भारी जीत में काफी फायदा हुआ।
5)बीजेपी को जो बहुमत मिला है, उसमें हिंदुत्व का एजेंडा ही कारगर रहा है।
6)आदित्यनाथ पर करप्शन का कोई आरोप नहीं है।
7) योगी की कोई लामबंदी नहीं है। उनके साथ गुटबंदी जैसी कोई चीज नहीं है।
8) पूर्वांचल में अच्छी पकड़ रखते हैं जहां मोदी-राजनाथ-अमित शाह की सबसे ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।
9) गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे हैं। विधायिका का अनुभव है।
10)आरएसएस के करीबी माने जाते हैं। इसलिए उनके नाम पर आसानी से मुहर लगी।
योगी आदित्यनाथ के लिए क्या होंगी चुनौतियां?
- डेवलपमेंट:केंद्र सरकार की योजनाएं जैसे सुकन्या योजना, जनधन योजना और उज्जवला योजना को सही तरीके से लागू करना, ताकि इसका सही लाभ लोगों तक पहुंच सके।
- नौकरशाही:इस पर लगाम लगाना होगा। किसी तरह का कोई घपला न हो।
-हिंदुत्व की उम्मीदें:गोहत्या रोकने, हिंदुओं का पलायन रोकने और स्लॉटर हाउस बंद करने जैसी हिंदुत्व की उम्मीदों को लेकर उनके कामकाज पर नजर हरेगी।
- अल्पसंख्यकों का बुरा न हो:मुस्लिमों के मुद्दे पर भी योगी को ध्यान देना होगा, ताकि उन्हें ये न लगे कि उनका नुकसान हो रहा है। मुसलमान असुरक्षित महसूस न करें, इसका ध्यान भी योगी को रखना होगा।
- सबका साथ:अति पिछड़ा, दलित समेत सभी वर्ग को साथ लेकर चलने की चुनौतियां भी होंगी, क्योंकि अब वे पूरे प्रदेश का नेतृत्व करेंगे।
- डेवलपमेंट:केंद्र सरकार की योजनाएं जैसे सुकन्या योजना, जनधन योजना और उज्जवला योजना को सही तरीके से लागू करना, ताकि इसका सही लाभ लोगों तक पहुंच सके।
- नौकरशाही:इस पर लगाम लगाना होगा। किसी तरह का कोई घपला न हो।
-हिंदुत्व की उम्मीदें:गोहत्या रोकने, हिंदुओं का पलायन रोकने और स्लॉटर हाउस बंद करने जैसी हिंदुत्व की उम्मीदों को लेकर उनके कामकाज पर नजर हरेगी।
- अल्पसंख्यकों का बुरा न हो:मुस्लिमों के मुद्दे पर भी योगी को ध्यान देना होगा, ताकि उन्हें ये न लगे कि उनका नुकसान हो रहा है। मुसलमान असुरक्षित महसूस न करें, इसका ध्यान भी योगी को रखना होगा।
- सबका साथ:अति पिछड़ा, दलित समेत सभी वर्ग को साथ लेकर चलने की चुनौतियां भी होंगी, क्योंकि अब वे पूरे प्रदेश का नेतृत्व करेंगे।
योगी से कैसे हो सकती है दिक्कत?
- योगी को एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरिएंस नहीं है। ब्यूरोक्रेसी गुमराह कर सकती है। उनका वीएचपी से ताल्लुक है। मठ मंदिर से आए हैं। उन पर साधु-संन्यासी हावी हो सकते हैं।
- उन पर ठाकुरवादी होने का आरोप लगता रहा है। अति पिछड़े और अन्य कास्ट के लोग नाराज हो सकते हैं। पार्टी के दूसरे नेताओं के सपोर्टर्स नाराज हो सकते हैं। गुटबाजी हो सकती है।
- विवादित बयानों को दोहराते हैं तो राजनीतिक अव्यवस्था पैदा हो सकती है।
- योगी को एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरिएंस नहीं है। ब्यूरोक्रेसी गुमराह कर सकती है। उनका वीएचपी से ताल्लुक है। मठ मंदिर से आए हैं। उन पर साधु-संन्यासी हावी हो सकते हैं।
- उन पर ठाकुरवादी होने का आरोप लगता रहा है। अति पिछड़े और अन्य कास्ट के लोग नाराज हो सकते हैं। पार्टी के दूसरे नेताओं के सपोर्टर्स नाराज हो सकते हैं। गुटबाजी हो सकती है।
- विवादित बयानों को दोहराते हैं तो राजनीतिक अव्यवस्था पैदा हो सकती है।
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